Hello दोस्तों, आज हम आपके लिए IGNOU BHIC-113 भारत का इतिहास VIII (c. 1857-1950) Study Material Hindi में लेकर आए है। आप यहाँ से BHIC 113 Book PDF In Hindi की सभी इकाईयों को PDF के रूप में Download कर सकते है।
BHIC-113 भारत का इतिहास VIII (c. 1857-1950) पाठ्यक्रम परिचय
यह पाठ्यक्रम 1857 के विद्रोह के बाद से लेकर 1947 में स्वतन्त्रता प्राप्ति और 1950 में गणतन्त्र की स्थापना तक की अवधि पर आधारित है। यह भारत में अंग्रेजी शासन के सुदृढ़ीकरण और इसके आर्थिक प्रभाव को रेखांकित करता है। इस पाठ्यक्रम में सामाजिक-धार्मिक सुधार आन्दोलनों और राष्ट्रवाद के उदय और विकास पर विस्तार से चर्चा की गई है।
इकाई 1 में भारतीय अर्थव्यवस्था और भारतीय लोगों पर औपनिवेशिक शासन के विभिन्न प्रभावों की चर्चा की गई है।
इकाई 2 में उन्नीसवीं शताब्दी के भारत में सामाजिक-धार्मिक सुधार आन्दोलनों की चर्चा की गई है। इन आन्दोलनों की विभिन्न धाराओं और विचारों पर विवेचना की गई है।
इकाई 3 में, गैर-बाह्मण आन्दोलन, जो एक अन्य प्रकार का सुधार आन्दोलन था, पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। यह ज्यादातर महाराष्ट्र और दक्षिण भारत, खासतौर पर तमिलनाडु, में प्रचलित हुआ। इन आन्दोलनों के बीच समानताओं और विभिन्नताओं पर भी चर्चा की गई है।
इकाई 4 उन राजनीतिक प्रक्रियाओं पर दृष्टिपात करती है जिनके कारण भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन हुआ और यह संगठन औपनिवेशिक काल के दौरान राष्ट्रवादी आन्दोलन का सबसे महत्वपूर्ण संगठन बना रहा। यह कांग्रेस की स्थापना से संबंधित विवादों पर भी चर्चा करती है।
इकाई 5 में नरम दल और गरम दल से जुड़े हुए राष्ट्रवादी आन्दोलन को दिशा देने के विषय पर चर्चा की गई है। यह स्पष्ट है कि अपनी विभिन्नताओं और विवादों के बावजूद इन दोनों धाराओं ने राष्ट्रवादी आन्दोलन के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इकाई 6 में प्रसिद्ध ‘स्वदेशी आन्दोलन’ पर विस्तार से चर्चा की गई है। 1905 में कर्जन द्वारा बदले की भावना से किया गया बंगाल का विभाजन एक महान विरोध आन्दोलन के उदय का कारण बना। इस आन्दोलन के एक महत्वपूर्ण परिणाम के रूप में संगठित क्रांतिकारी राष्ट्रवाद का जन्म हुआ जिसने भारतीय युवाओं को गहराई से प्रभावित किया ।
इकाई 7 में महात्मा गांधी द्वारा संचालित महान जन आन्दोलनों पर चर्चा की गई है। असहयोग आन्दोलन, खिलाफत आन्दोलन के साथ, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध अब तक के सबसे बड़े जन गोलबन्दी का आन्दोलन बना। इसने ब्रिटिश साम्राज्यवाद की जड़ों को हिला दिया और औपनिवेशिक शासन ने इस आन्दोलन को रोकने के लिए दमनात्मक कदम उठाए। इसमें इस महान आन्दोलन के विभिन्न आयामों की विवेचना की गई है।
इकाई 8 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन की विस्तृत चर्चा की गई है। जिसमें सम्पूर्ण देश की जनता ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया । इस आन्दोलन की सर्वप्रमुख विशेषता इसमें महिलाओं की अधिक भागेदारी थी। काफी संख्या में महिला स्वयं सेवकों को औपनिवेशिक शासन ने जेल में भेज दिया था।
इकाई 9 बृहद् राष्ट्रवादी आन्दोलन में क्रांतिकारी धाराओं का प्रारंभ से अध्ययन करती है। संगठित क्रांतिकारी धाराओं जैसे गदर पार्टी, हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोशियेशन और हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोशियेशन पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। उनकी विचारधारा और कार्यकलाप पर विस्तार से चर्चा की गई है।
इकाई 10 में 1892 से लेकर भारत सरकार अधिनियम 1935 तक के संवैधानिक सुधारों के इतिहास का वर्णन है। इन सुधारों ने भारतीय लोगों के लिए अधिक प्रशासनिक पदों का रास्ता खोला।
इकाई 11 में विस्तार “भारत छोड़ो आन्दोलन” को वर्णित किया गया है। औपनिवेशिक शासन में भारतीय प्रतिनिधित्व की सीमित शक्ति तथा औपनिवेशिक शासकों के एकतरफा निर्णय ने भारत को द्वितीय विश्वयुद्ध में झोंक दिया। चूँकि इसमें भारतीय नेताओं की सहमति नहीं थी, इसलिए प्रान्तों की कांग्रेस सरकारों ने इस्तीफा दे दिया। अन्ततः भारी संख्या में लोगों ने सरकार विरोधी गतिविधियों में हिस्सा लिया और कुछ क्षेत्रों में आजादी की घोषणा भी कर दी गई। इस आन्दोलन को ब्रिटिश सैन्य बल की सहायता से कुचल दिया गया लेकिन इसका लोगों के ऊपर बहुत प्रभाव पड़ा।
इकाई 12 में देश को आजाद कराने के लिए ब्रिटिश राज के विरुद्ध विद्रोह के लिए राष्ट्रीय सेनाओं के गठन के विभिन्न प्रयासों की चर्चा की गई है। इन प्रयासों का चरमोत्कर्ष सुभाष चन्द्र बोस (नेताजी) द्वारा दक्षिणपूर्व एशिया में आजाद हिन्द फौज के गठन में हुआ। आजाद हिन्द फौज के सैनिकों और अफसरों पर भारत में अंग्रेजी सरकार द्वारा चलाए गए केस के विरुद्ध जन- विद्रोह की घटनाओं की भी चर्चा की गई है।
इकाई 13 में राजकोट और हैदराबाद के विशेष संदर्भ में जनतान्त्रीकरण और राष्ट्रीयकरण के लिए देसी रियासतों में जनता के संघर्षों की विवेचना की गई है।
इकाई 14 में सत्याग्रह में निहित गांधीवादी विचारधारा और संघर्ष के तरीकों की विवेचना है।
इकाई 15 साहित्य के माध्यम से राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया पर ध्यान केन्द्रित करती है।
इकाई 16 औपनिवेशिक काल के दौरान भारत में वामपन्थी आन्दोलनों पर विचार करती है। इसमें कम्युनिस्ट और सोशलिस्ट अर्थात् समाजवादी पार्टियों का जिक्र है। कम्युनिस्ट अधिकतर कांग्रेस के बाहर ही रहे और कांग्रेस द्वारा संचालित राष्ट्रवादी आन्दोलन के बारे में उनका रुख आलोचनात्मक रहा।
इकाई 17 में मजदूर तथा ट्रेड यूनियन आन्दोलनों और उनके राष्ट्रवादी आन्दोलन से संबंध की चर्चा की गई है।
इकाई 18 में पूँजीपति वर्ग और राष्ट्रवादी आन्दोलन, खासतौर पर कांग्रेस के साथ उनके सम्बन्ध पर विचार किया गया है।
इकाई 19 में भारत की स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं, जिसमें शान्तिपूर्ण समझौता और जनसंघर्ष दोनों शामिल थे, की विवेचना की गई है।
इकाई 20 में स्वतंत्रता के विपरीत प्रक्रिया अर्थात देश के विभाजन पर चर्चा करती है। सम्प्रदायवाद की तीव्र प्रक्रिया, जो इस अवधि में खासतौर पर मुस्लिम लीग द्वारा संचालित थी, के कारण धार्मिक आधार पर देश का विभाजन हुआ, जिसके भयानक परिणाम हुए।
इकाई 21 में स्वतंत्रता के बाद संवैधानिक और प्रजातान्त्रिक आधार पर गठित भारतीय राजनीति-व्यवस्था की विवेचना है। भारत एक उदार प्रजातान्त्रिक देश के रूप में उभरा जिसमें सशक्त संवैधानिक शासन और केन्द्रीकृत राज्य और संघवाद के बीच एक सन्तुलन है।
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यह अध्ययन सामग्री IGNOU BA Honours के छात्रों और उन सभी छात्रों के लिए निःशुल्क है, जो UPSC और UGC NET (History) जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है। इन दोनों बड़ी परीक्षाओं में छात्रों को इतिहास जैसे विषय की अच्छी तैयारी के लिए IGNOU इतिहास की पुस्तकें बहुत मददगार होती है। इस पाठ्यक्रम में 1857 के विद्रोह के बाद से लेकर 1947 में स्वतन्त्रता प्राप्ति और 1950 में गणतन्त्र की स्थापना तक की अवधि के इतिहास को सरल भाषा में विस्तार से समझाया गया है।
इकाई 1 साम्राज्यवाद के प्रभाव
इकाई 2 उन्नीसवीं सदी के भारत में सामाजिक और धार्मिक सुधार आन्दोलन
इकाई 3 पश्चिम और दक्षिण भारत में गैर-ब्राह्मण आन्दोलन
इकाई 4 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना
इकाई 5 नरम दल और गरम दल
इकाई 6 स्वदेशी आन्दोलन
इकाई 7 असहयोग और खिलाफत आन्दोलन
इकाई 8 सविनय अवज्ञा आन्दोलनः 1930-34
इकाई 9 क्रांतिकारी
इकाई 10 संवैधानिक सुधार
इकाई 11 भारत छोड़ो आन्दोलन
इकाई 12 आजाद हिन्द फौज (इंडियन नेशनल आर्मी)
इकाई 13 देशी रियासतों में जन संघर्ष
इकाई 14 महात्मा गांधी: उनका परिप्रेक्ष्य और कार्यप्रणाली
इकाई 15 राष्ट्रवाद और संस्कृतिः राष्ट्रवादी साहित्य
इकाई 16 वामपंथी आन्दोलन
इकाई 17 ट्रेड यूनियन और किसान आन्दोलन का विकास
इकाई 18 भारतीय पूँजीपति वर्ग और स्वतन्त्रता-संग्राम
इकाई 19 स्वतन्त्रता की ओर: 1945-1947
इकाई 20 सम्प्रदायवाद और भारत का विभाजन
इकाई 21 स्वतन्त्र भारत का उदयः लोकतांत्रिक शासन प्रणाली की स्थापना
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