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BHIC-102 प्राचीन विश्व की सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक पैटर्न पाठ्यक्रम परिचय
यह पाठ्यक्रम मानव क्रम विकास की जानकारी देने वाले विभिन्न स्रोतों की विस्तृत चर्चा के साथ शुरू होता है। यहाँ इन स्रोतों को दो भागों में विभाजित किया गया है। पहले को प्राक-इतिहास के रूप में जाना जाता है जो लिखित रिकॉर्डों या दस्तावेज़ों के उद्भव से पहले का काल था। और दूसरे भाग में जब लिखित दस्तावेज़ों और लेखो के साथ-साथ अन्य स्रोत भी प्राप्त होने लगते हैं। इसके बाद मानव विकास की प्रक्रिया को समझाया गया है।
खंड Ⅰ मानव के क्रमिक विकास के साथ शुरू होता है जो ऐतिहासिक शोध के प्रमुख सरोकार का विवरण यानी अतीत की समझ प्रस्तुत करता है।
इकाई 1 में प्राक-इतिहास, आद्य-इतिहास, सर्वाधिक प्राचीन ऐतिहासिक लेखन और मानव अतीत की जानकारी के लिए आधुनिक ज्ञान की विभिन्न शाखाओं (पुरातत्व और मानव शास्त्र की शाखाएं) की स्पष्ट समझ प्रदान की गई है।
इकाई 2 में मानव के जैविक विकास का अध्ययन किया गया है। यह विस्तार से डार्विन से पूर्व के जैविक विकास के सिद्धांतों के बारे में है जिसमें निर्जीव पदार्थ से सजीव की उत्पत्ति वाले यूनानी सिद्धांतों से लेकर मध्यकालीन सिद्धांतों और जैविक विकास के सिद्धांत शामिल है।
इकाई 3 में मानव जैविक विकास का सांस्कृतिक विकास के साथ जुड़ने की चर्चा की गई है। इसमें औज़ार बनाने की संस्कृति से लेकर कला के भिन्न रूपों तक, जिनका विश्व में उद्भव हुआ (विशेष तौर पर यूरोप और पश्चिम एशिया में), का वर्णन है। मानव विकास के तीन चरणों में से सबसे पहला चरण पुरापाषाण संस्कृति या पूर्व-पाषाण युग था।
खंड Ⅱ अंतिम हिम युग या प्लीस्टोसीन युग के अंत में शिकारी-संग्रहकर्ताओं की भोजन इकट्ठा करने की रणनीति के बारे में है।
इकाई 4 में कृषि की शुरुआत की पहली आवश्यकता पौधे उगाना और पशुओं का पालन करना आदि की चर्चा की गई है।
इकाई 5 वर्णन करता है कि हर शिकारी-संग्रहकर्ता अर्थव्यवस्था ने पौधे उगाने और पशुओं का पालन करने की शुरुआत नहीं की थी। बहुत से पुरातात्विक स्थल दर्शाते हैं कि विकसित कृषि उत्पादन के बिना भी एक ही स्थान पर बहुत बार बसावटें हो सकती थी।
इकाई 6 में चर्चा की गई है कि एक जटिल समाज और सभ्यता की उत्पत्ति के लिए सबसे पहले आवश्यकता कृषि का संक्रमण था। इस संक्रमण ने विभिन्न मानव समुदायों के आपसी और प्रकृति के प्रति अधिक कठोर रवैये को प्रोत्साहित किया।
खंड Ⅲ में कांस्य युगीन सभ्यताओं के सामान्य विशेषताओं पर चर्चा की गई है, इस खंड में केवल मिस्र और चीन के विशिष्ठ अध्ययन का प्रयत्न किया गया है।
इकाई 7 में कांस्य युगीन सभ्यताओं की मुख्य विशेषताओं को रेखांकित किया गया है। ये सभ्यताएं विकसित लेखन रूपों द्वारा चिन्हित थी: मेसोपोटामिया में क्यूनिफार्म शैली, मिस्र में चित्रलिपि और चीन में ओरेकल हड्डी-लेखन।
इकाई 8 में मिस्र की सभ्यता का वर्णन है जहाँ कांस्य युग के दौरान भव्य पिरामिडों का निर्माण किया गया जिन्हें आज दुनिया के अजूबों में माना जाता है और शोषण के एक बड़े प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।
इकाई 9 चीन की सभ्यता के प्रारंभिक काल में शांग की विरासत में कांस्य युगीन सभ्यताओं के अध्ययन के महत्व को दर्शाती है। इस क्षेत्र में अद्वितीय और सामान्य कांस्य कास्टिंग प्रौद्योगिकी और कांस्य वस्तुओं के सबसे बड़े संग्रह की प्राप्ति प्रौद्योगिकी का एक चमत्कार माना जाता है।
खंड Ⅳ वर्णन करता है कि लौह युग का उद्भव, कांस्य युगीन सभ्यताओं के पतन और खानाबदोश समूहों के आगमन के समकालीन था। लोहे के इस्तेमाल से समाज पर अधिक प्रभाव पड़ा क्योंकि वह अधिकांश भौगोलिक क्षेत्रों में आसानी से उपलब्ध था। लोहे की क्षमता और उसे उगाने का ज्ञान कृषि, उद्योग और युद्धों के प्रजातंत्रीकरण या आम लोगों तक उसकी पहुँच का कारक माना जाता है।
इकाई 10 में चर्चा की गई है कि लोहा गलाने का ज्ञान विकसित हुआ। बाद में यूनानियों और ईरानियों ने लोहे को निर्माण के कार्य के लिए इस्तेमाल किया। लौह युग के दौरान लोहे से जुड़ी प्रौद्योगिकी के फैलाव के साथ-साथ खेती में कई गुना वृद्धि हुई जिसके कारण कृषि उत्पादन का विस्तार हुआ। इसके साथ घुड़सवार योद्धा वर्ग, धन, व्यापार और नए शहरों का उद्भव समाज में बदलाव लाया।
इकाई 11 लगभग सातवीं सदी बी.सी.ई. से मध्य और पश्चिमी एशिया के मुख्य खानाबदोश समूहों के बारे में चर्चा करती है। मध्य एशिया की अवस्थिति में उसके पर्यावरणीय कारणों और भोजन की खोज में घूमने की वजह ने अंत में खानाबदोश साम्राज्यों की स्थापना के लिए मार्ग प्रशस्त किया।
खंड Ⅴ, एक नए राजनीतिक विन्यास (साम्राज्य) का उद्भव पश्चिमी एशिया के क्षेत्र में हुआ, का वर्णन करता है। यह साम्राज्य ज्यादातर राजतंत्रीय प्रकृति के थे इनकी साम्राज्यी शक्ति का संचालन भेंट के संग्रह के माध्यम से किया जाता था और उसमें आपस में नातेदारी से संबंधित लोग शामिल होते थे।
इकाई 12 मेसोपोटामिया के बेबीलोनिया द्वारा साम्राज्य के गठन की प्रक्रिया शुरू करने के बारे में है। जिसके बाद इस प्रक्रिया का हिट्टियों और असीरियों द्वारा अनुसरण किया गया।
इकाई 13 सासानिद साम्राज्य, उसके विकास और सुदृढ़ीकरण, प्रशासनिक संस्थाओं, सामाजिक संघटन, अर्थव्यवस्था, शहरीकरण, धर्म और साम्राज्य की संस्कृति का विश्लेषण करती है।
खंड Ⅵ में यूनानी सभ्यता की भौगोलिक सीमा, विभिन्न स्रोत, यूनानी समाज की सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था के महत्वपूर्ण पहलू को शामिल किया गया हैं।
इकाई 14 यूनान में लोकतांत्रिक राज्य व्यवस्था की चर्चा करती है। साम्राज्य के गठन में यूनानी समाज ने सभ्यता की एकजुटता को संगठित किया।
इकाई 15 यूनानी संस्कृति की विशेषताओं के बारे में गहराई से विश्लेषण प्रदान करती है। यूनानी दार्शनिकों ने यूनानी सांस्कृतिक परंपराओं को समृद्धि प्रदान की। इस लंबे युग के दौरान बहुत से विचारक उभरें जिनमें से सुकरात, प्लेटो और अरस्तु आज भी प्रसिद्ध है।
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यह अध्ययन सामग्री IGNOU BAG के छात्रों और उन सभी छात्रों के लिए निःशुल्क है, जो UPSC और UGC NET (History) जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है। इन दोनों बड़ी परीक्षाओं में छात्रों को इतिहास जैसे विषय की अच्छी तैयारी के लिए IGNOU इतिहास की पुस्तकें बहुत मददगार होती है। यह पुस्तकें प्राचीन विश्व की सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक पैटर्न को विस्तार से समझाती है।
खंड I मानव का क्रमिक विकास
खंड II खाद्य उत्पादन
खंड III कांस्य युगीन सभ्यताएँ
खंड IV लौह युग
खंड V साम्राज्यों का गठन
खंड VI प्राचीन यूनान
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