अनुभाग चार 一 आधुनिकीकरण की ओर
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Toggleविषय 6: मूल निवासियों का विस्थापन
औद्योगिक क्रांति और राजनीतिक क्रांतियों ने प्रजा को नागरिक में बदल दिया। इन राजनीतिक क्रांतियों की शुरुआत अमरीकी क्रांति (1776-81) और फ़्रांसीसी क्रांति (1789-94) से हुई।
➡ ब्रिटेन दुनिया का पहला औद्योगिक राष्ट्र रहा है। प्रत्येक देश ने दूसरों के अनुभवों से बहुत कुछ सीखा लेकिन औद्योगीकरण के प्रस्तुत नमूनों का अंधानुकरण नहीं किया।
- ब्रिटेन में कोयला और सूती कपड़े के उद्योगों का विकास औद्योगीकरण के पहले चरण में हुआ जबकि रेलवे का आविष्कार दूसरे चरण में।
- रूस में औद्योगिक विकास 19वीं सदी के आखिर में शुरू हुआ पर रेलवे और भारी उद्योग पहले चरण में ही विकसित हुए।
➡ इसी तरह औद्योगिकरण में राज्य और बैंकों की भूमिका प्रत्येक देश में भिन्न-भिन्न रही है।
- ब्रिटेन को औद्योगीकरण की वजह से गरीब मज़दूर खासकर बच्चों की दुर्दशा, पर्यावरण का क्षय, हैज़ा तथा तपेदिक की महामारियाँ झेलनी पड़ी।
- यूरोपीय शक्तियाँ, औद्योगिक क्रांति के बहुत पहले से अमरीका, एशिया और दक्षिण अफ़्रीका के हिस्सों में उपनिवेश बनाकर उनकी ज़मीन और पानी से लेकर सब कुछ खरीदना और बेचना चाहती थी। लेकिन मूल निवासियों ने अपनी संस्कृति को मिटने नहीं दिया।
➡ पश्चिमी पूँजीवाद (व्यापारिक, औद्योगिक और वित्तीय) और 20वीं सदी के शुरू के जापानी पूँजीवाद ने तीसरी दुनिया के बहुत से हिस्सों में उपनिवेश बनाए।
- कुछ में यूरोपीय गोरे लोग बस गए। अन्य जैसे कि भारत में ब्रिटिश शासन का सीधा नियंत्रण था।
- चीन में ब्रिटेन, फ़्रांस, जर्मनी, रूस, अमरीका तथा जापान ने बिना सत्ता हाथ में लिए उसके मामलों में दखलअंदाज़ी की और देश के संसाधनों से भरपूर फ़ायदा उठाया।
➡ लगभग सभी देशों में राष्ट्रीय आंदोलनों ने औपनिवेशिक शोषण को चुनौती दी। पश्चिम या जापान में राष्ट्रवाद बिना औपनिवेशिक संदर्भ के उभरा था।
- आधुनिक राष्ट्रवाद में राजनीतिक सत्ता जनता के हाथ में होनी चाहिए।
- नागरिक राष्ट्रवाद भाषा, धर्म, जाति और लिंग पर ध्यान दिए बिना प्रभुसत्ता सभी लोगों को देता है। और राष्ट्रीयता को जातीयता तथा धर्म से हटकर नागरिकता से परिभाषित करता है।
- जातीय और धार्मिक राष्ट्रवाद राष्ट्रीय एकता का निर्माण किसी भाषा, धर्म या कुछ परंपराओं के इर्द-गिर्द बनाने की कोशिश करते हैं।
➡ बहु जातीय देश में जातीय राष्ट्रवादी प्रभुसत्ता चुने हुए समूहों-समुदायों तक सीमित कर सकते हैं।
- औद्योगीकरण के भिन्न-भिन्न तरीकों के जैसे ही विभिन्न समाजों ने अपनी विशिष्ट आधुनिकता विकसित की है।
- जापान उपनिवेशी नियंत्रण से आज़ाद रहने में सफल रहा और 20वीं सदी के दौरान तेज़ी से आर्थिक और औद्योगिक प्रगति कर सका।
- इसी उन्नति की वजह से दूसरे विश्व युद्ध में हार जाने के बाद भी जापानी अर्थव्यवस्था का पुनर्निर्माण हो सका।
- चीनियों ने औपनिवेशिक शोषण का और अपने नौकरशाह (सामंत वर्ग) का प्रतिरोध किसान विद्रोह, सुधार क्रांति के ज़रिए किया।
➡ 1930 के दशक की शुरुआती सालों में चीनी साम्यवादी पार्टी (ताकत किसानों में) ने औपनिवेशिक शक्तियों का और देश के कुलीन वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे राष्ट्रवादियों का सामना करना शुरू किया।
- उनकी समतावादी विचारधारा, भूमि सुधारों पर ज़ोर और महिलाओं की समस्याओं को प्रति जागरूकता ने 1949 में विदेशी उपनिवेशवाद और राष्ट्रवादियों को उखाड़ फेंकने में मदद की।
- सत्ता में आने के बाद वे असमानताएँ घटाने, शिक्षा फैलाने और राजनीतिक जागरूकता बनाने में सफल रहे।
- फिर भी देश के एक पार्टी ढाँचा और राज्य-प्रायोजित दमन ने, 1960 के दशक के मध्य के बाद राजनीतिक व्यवस्था के साथ असंतोष बढ़ा।
- चीन को आर्थिक शक्ति में बदलने की कड़ी मेहनत और खुद का पुनराविष्कार करने से साम्यवादी पार्टी काफ़ी हद तक देश पर अपना नियंत्रण रख पाई।
विभिन्न देशों ने आधुनिकता को अलग-अलग तरीके से समझा और अलग-अलग तरीकों से प्राप्त करने की कोशिश की है।
➡ 18वीं सदी से दक्षिणी अमरीका के और भी हिस्सों में, तथा मध्य, उत्तरी अमरीका, दक्षिणी अफ़्रीका, ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूज़ीलैंड के इलाकों में यूरोप से आए आप्रवासियों के बसने के कारण वहाँ के बहुत से मूल निवासियों को दूसरे इलाकों में जाने पर मजबूर किया गया।
➡ 19वीं और 20वीं सदी में एशियाई देशों के लोग भी इनमें से कुछ देशों में आ बसे। आज ये यूरोपीय एशियाई लोग इन देशों में बहुसंख्यक है। और वहाँ के मूल निवासी जिनका देश के अधिकतर हिस्सों पर कब्ज़ा था, मुश्किल से ही शहरों में नज़र आते हैं।
यूरोपीय साम्राज्यवाद
स्पेन और पुर्तगाल के अमरीकी साम्राज्य का 17वीं सदी के बाद विस्तार नहीं हुआ। तब तक फ़्रांस, हॉलैंड और इंग्लैंड जैसे दूसरे देशों ने अपनी व्यापारिक गतिविधियों का विस्तार करना और अमरीका, अफ़्रीका तथा एशिया में अपने उपनिवेश बसाना शुरू कर दिया था।
- आयरलैंड, इंग्लैंड का उपनिवेश था क्योंकि वहाँ बसे हुए ज़्यादातर भूस्वामी अंग्रेज़ थे।
- मुनाफ़े की संभावना में ही लोगों ने यहाँ उपनिवेश बनाए, लेकिन नियंत्रण स्थापित करने की प्रकृति में महत्वपूर्ण विविधताएँ थीं।
- दक्षिण एशिया में व्यापारिक कंपनियों ने अपने को राजनीतिक सत्ता का रूप दिया, स्थानीय शासकों को हराकर इलाके का विस्तार किया।
- पुरानी सुविकसित प्रशासकीय व्यवस्था को जारी रखकर भूस्वामियों से कर वसूलते रहे।
- बाद में व्यापार को सुगम बनाने के लिए रेलवे का निर्माण किया, खदानें खुदवाईं और बड़े-बड़े बाग़ान स्थापित किए।
- दक्षिणी अफ़्रीका को छोड़कर शेष पूरे अफ़्रीका में यूरोपीय लोग समुद्र तटों पर ही व्यापार करते रहे।
- 19वीं सदी के आखिर में वे अंदरूनी इलाकों में गए। फिर कुछ यूरोपीय मुल्कों के बीच अपने उपनिवेशों के रूप में अफ़्रीका का बँटवारा हुआ।
- “सेटलर” शब्द दक्षिण अफ़्रीका में डच के लिए, आयरलैंड, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में ब्रिटिश के लिए और अमरीका में यूरोपीय लोगों के लिए इस्तेमाल होता था।
- इन उपनिवेशों की राजभाषा अंग्रेज़ी थी। (कनाडा में फ्रांसीसी भी राजभाषा)
उत्तरी अमरीका
उत्तरी अमेरिका का महाद्वीप उत्तरध्रुवीय वृत्त से लेकर कर्क रेखा तक और प्रशांत महासागर से अटलांटिक महासागर तक फैला है।
- पथरीले पहाड़ों की श्रृंखला के पश्चिम में अरिज़ोना और नेवाडा की मरुभूमि है। थोड़ा और पश्चिम में सिएरा नेवाडा पर्वत है।
- पूर्व में ग्रेट मैदानी इलाके, ग्रेट झीलें, मिसीसिपी और ओहियो अप्पालाचियाँ पर्वतों की घाटियाँ हैं।
- दक्षिण दिशा में मेक्सिको है। कनाडा का 40 फीसदी इलाका जंगलों से ढँका है।
- कई क्षेत्रों में तेल, गैस और खनिज संसाधन पाए जाते हैं, जिनके चलते संयुक्त राज्य अमरीका और कनाडा में ढेरों बड़े उद्योग हैं।
- आज कनाडा में गेहूँ, मकई और फल बड़े पैमाने पर पैदा किए जाते हैं और मत्स्य-उद्योग एक महत्वपूर्ण उद्योग है।
मूल निवासी
उत्तरी अमरीका के सबसे पहले बाशिंदे 30,000 साल पहले बेरिंग स्ट्रेट्स के आरपार फैले भूमि-सेतु के रास्ते एशिया से आए। 10,000 साल पहले आखिरी हिमयुग के दौरान वे और दक्षिण की तरफ़ बढ़े।
- अमरीका में मिलने वाली सबसे पुरानी मानव कृति (एक तीर की नोक) 11,000 साल पुरानी है।
- तकरीबन 5000 साल पहले जलवायु में स्थिरता आने से आबादी बढ़ने शुरू हुई।
- ये लोग नदी घाटी के साथ-साथ बने गाँवों में समूह बनाकर रहते थे।
- मछली व मांस खाते और सब्ज़ियाँ तथा मकई उगाते थे।
- अकसर मांस की तलाश में लंबी यात्राओं पर जाया करते थे।
- उन्हें घास के मैदानों में घूमने वाले जंगली भैंसों (बाइसन) की तलाश रहती थी।
- वे भोजन की ज़रूरत के हिसाब से ही जानवर मारते थे।
➡ वे अपनी आवश्यकताओं से अधिक उत्पादन नहीं करते थे इसलिए वे केंद्रीय तथा दक्षिणी अमरीका की तरह राजशाही और साम्राज्य का विकास नहीं कर सके।
- इलाके को लेकर कबीलों के बीच झगड़े होते थे परंतु ज़मीन पर नियंत्रण किए बिना उससे मिलने वाले भोजन और आश्रय से संतुष्ट थे।
- उनकी परंपरा की महत्वपूर्ण विशेषता औपचारिक संबंध और दोस्तियाँ कायम करना तथा उपहारों का आदान-प्रदान करना था।
- उत्तरी अमरीका में अनेक भाषाएँ बोली जाती थीं, पर लिखी नहीं जाती थीं।
- उनका विश्वास था कि समय की गति चक्रीय है, और हर कबीले के पास अपनी उत्पत्ति और इतिहास के बारे में ब्यौरे थे जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलते आ रहे थे।
- वे कुशल कारीगर थे और खूबसूरत कपड़े बुनते थे। वे जलवायु और विभिन्न भू-दृश्यों को अच्छी तरह समझते थे।
यूरोपियनों से मुकाबला
17वीं सदी में यूरोपीय व्यापारी मछली और रोंएदार खाल के व्यापार के लिए उत्तरी अमरीका के उत्तरी तट पर गए थे।
- जहाँ के स्थानीय लोगों का व्यवहार दोस्ताना और गर्मजोशी भरा था। उन्हें शिकार-कुशल देसी लोगों से अपेक्षित मदद मिली।
- थोड़ा और दक्षिण में, मिसीसिपी के किनारे-किनारे, फ्रांसीसियों ने पाया कि देसी लोग नियमित रूप से जमा होते थे।
- जो ऐसे हस्तशिल्पों और खाद्य पदार्थों का आदान-प्रदान करते जो किसी खास कबीले में नहीं बनते या अन्य इलाकों में उपलब्ध नहीं थे।
- स्थानीय उत्पादों के बदले में यूरोपीय लोग वहाँ के बाशिंदों को कंबल, लोहे के बर्तन, बंदूकें और शराब देते थे।
- बाशिंदों को शराब की लत लगने से यूरोपीय लोगों को व्यापार के लिए अपनी शर्तें थोपने में आसानी हुई।
क्यूबेक
- 1497 — जॉन कैबोट “न्यूफ़ाउंडलैंड” पहुँचा
- 1534 — जैक कार्टियर ने सेंट लॉरेंस नदी के किनारे-किनारे यात्रा की और मूल बाशिंदों से मिला
- 1608 — फ्रांसीसियों ने क्यूबेक उपनिवेश की खोज की
अमरीकी उपनिवेश
- 1507 — अमेरिगो डे वेसपुकी की “ट्रैवेल्स” प्रकाशित हुई
- 1607 — ब्रिटिश लोगों ने वर्जीनिया उपनिवेश की खोज की
- 1620 — ब्रिटिश लोगों ने प्लाइमाउथ (मेसाचुसैट्स में) की खोज की
पारस्परिक धारणाएँ
18वीं सदी में पश्चिमी यूरोप के लोग साक्षरता, संगठित धर्म और शहरीपन के आधार पर “सभ्य” मनुष्य की पहचान करते थे। इसलिए उन्हें अमरीका के मूल निवासी “असभ्य” प्रतीत हुए।
➡ फ्रांसीसी दर्शनशास्त्री ज्यां जैक रूसो जैसे कुछ यूरोपीयों के लिए ऐसे लोग (उदात्त उत्तम जंगली) तारीफ़ के काबिल थे, क्योंकि वे “सभ्यता” की विकृतियों से अछूते थे।
➡ वडर्सवर्थ और रूसो किसी अमरीकी मूल निवासी से नहीं मिले थे, फिर भी वडर्सवर्थ ने उनके बारे में कहा कि प्रकृति के निकट रहने वालों की कल्पनाशक्ति और भावना अत्यंत सीमित होती है।
➡ मूल बाशिंदे यूरोपीय लोगों को मछली और रोएँदार खाल आदि उपहार के रूप में देते थे।
- परंतु यूरोपीय लोग मुनाफ़ा कमाने के लिए उन्हें यूरोप में बेचते थे। जिनके दाम, पूर्ति के आधार पर, साल दर साल बदलते रहते थे।
- मूल निवासियों को समझ नहीं आया कि यूरोपीय व्यापारी उनकी चीज़ों के बदले कभी बहुत सारा, तो कभी बहुत कम सामान देते थे।
➡ शुरुआत में यूरोपीय व्यापारियों के पीछे-पीछे अमरीका में बसने के लिए भी लोग आए जो 17वीं सदी से ईसाइयत के भिन्न संप्रदाय से ताल्लुक रखने की वजह से उत्पीड़न के शिकार थे।
- शुरू में खाली ज़मीनों पर बसने में कोई समस्या नहीं आई, लेकिन धीरे-धीरे मूल निवासियों के गाँवों की ओर बढ़ने पर उन्हें जंगलों की सफ़ाई के लिए लोहे के औज़ारों का इस्तेमाल करना पड़ा।
- यूरोपीय लोगों की कल्पना में कटे हुए जंगल की जगह मक्के के खेत उभरते थे, जबकि मूल निवासी बिक्री तथा मुनाफे की जगह अपनी ज़रूरत के लिए फ़सलें उगाते और और ज़मीन का मालिक बनने को ग़लत मानते थे।
जैफ़र्सन का सपना एक ऐसे देश का था जो छोटे-छोटे खेतों वाले यूरोपीय लोगों से आबाद था इसलिए उनकी निगाह में मूल निवासी असभ्य थे।
कनाडा
- 1701 — क्यूबेक के मूल निवासियों के साथ फ्रांसीसियों का समझौता
- 1763 — क्यूबेक पर ब्रिटिशों की विजय
- 1774 — क्यूबेक एक्ट
- 1791 — कनाडा संवैधानिक एक्ट
- 1837 — फ्रांसीसी कनाडाई विद्रोह
- 1840 — उच्चतर और मिम्नतर कनाडा की कैनेडियन यूनियन
- 1859 — कनाडा गोल्ड रश
- 1867 — कनाडा महासंघ
- 1869-85 — कनाडा में मेटिसों द्वारा रेड रिवर विद्रोह
- 1876 — कनाडा इंडियन्स एक्ट
- 1885 — पारमहाद्वीपीय रेलवे के ज़रिए पूर्वी और पश्चिमी तटों का जुड़ाव
संयुक्त राज्य अमरीका
- 1781 — ब्रिटेन ने संयुक्त राज्य अमरीका को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी
- 1783 — ब्रिटिश लोगों ने संयुक्त राज्य अमरीका को मध्य-पश्चिम सौंपा
- 1803 — फ्रांस से लुइसियाना की खरीद
- 1825-58 — संयुक्त राज्य अमरीका के मूल निवासी आरक्षित क्षेत्र में पहुँचाए गए
- 1832 — जस्टिस मार्शल का फ़ैसला
- 1849 — अमरीकी गोल्ड रश
- 1861-65 — अमरीकी गृहयुद्ध
- 1865-90 — अमरीकी इंडियन युद्ध
- 1870 — पारमहाद्वीपीय रेलवे
- 1890 — अमरीका में जंगली भैंसे का प्राय: उन्मूलन
- 1892 — अमरीकी फ्रंटियर का अंत
➡ आज के कनाडा और संयुक्त राज्य अमरीका 18वीं सदी के अंत में वजूद में आए। उस समय उनके कब्ज़े में वर्तमान क्षेत्रफल का एक छोटा हिस्सा ही था। मौजूदा आकार तक पहुँचने में उन्हें लगभग 100 साल लगे।
- संयुक्त राज्य अमरीका ने दक्षिण में फ्रांस (लुइसियाना परचेज़) और रूस (अलास्का) से ज़मीन खरीदी। और दक्षिणी संयुक्त राज्य अमरीका का अधिकतर हिस्सा मेक्सिको से जीता।
- संयुक्त राज्य अमरीका की पश्चिमी सरहद जैसे-जैसे खिसकती गई, मूल निवासियों को पीछे खिसकने के बाध्य किया गया।
➡ 19वीं सदी में ब्रिटेन और फ़्रांस से कुछ ऐसे प्रवासी आए जो छोटे बेटे होने के कारण पिता के उत्तराधिकारी नहीं बन सकते थे इसलिए अमरीका में ज़मीन के मालिक बनना चाहते थे।
- बाद में जर्मनी, स्वीडन और इटली जैसे मुल्कों से ऐसे आप्रवासी आए, जिनकी ज़मीनें बड़े किसानों के हाथ चली गई थीं।
- पोलैंड से आए लोगों को प्रेयरी चरागाहों में काम करना अच्छा लगता था। यहाँ वे बहुत कम कीमत पर बड़ी संपत्तियाँ खरीद सकते थे।
- उन्होंने ज़मीन की सफ़ाई कर खेती का विकास किया।
- धान और कपास जैसी फ़सलें उगाईं, जो यूरोप में नहीं उगाई जा सकती थी इसलिए वे उन्हें ऊँचे मुनाफ़े पर बेच सकते थे।
- खेतों को भेड़िए और पहाड़ी शेरों से बचने के लिए उन्होंने शिकार के ज़रिए उनका सफ़ाया ही कर दिया।
- 1873 में कँटीले तारों की खोज के बाद ही वे अपने को पूरी तरह सुरक्षित महसूस कर पाए।
➡ दक्षिणी इलाके की जलवायु यूरोपीय जनों के लिए काफी गर्म थी इसलिए बाग़ान मालिकों ने अफ़्रीका से दास ख़रीदे।
- संयुक्त राज्य अमरीका के उत्तरी राज्यों ने दासप्रथा को एक अमानवीय प्रथा बताया।
- 1861-65 में दासप्रथा को जारी रखनेवाले और उसके खात्मे की वकालत करने वाले राज्यों के बीच युद्ध में दासता विरोधियों की जीत हुई।
- लेकिन अफ़्रीकी मूल के अमरीकियों को नागरिक स्वतंत्रता 20वीं सदी में आकर ही मिल पाई।
➡ 1763 में ब्रिटिश लोगों द्वारा फ्रांस से कनाडा को जीतने पर फ्रांसीसी आबादकार लगातार स्वायत्त राजनीतिक दर्ज़े की मांग रहे थे। 1867 में कनाडा को स्वायत्त राज्यों के एक महासंघ के रूप में संगठित करके ही इस समस्या का हल निकला।
अपनी ज़मीन से मूल बाशिंदों की बेदख़ली
संयुक्त राज्य अमरीका ने अपनी बस्तियों का विस्तार करने पर ज़मीन की कम कीमत पर बिक्री के समझौते पर दस्तख़त कराने के बाद मूल निवासियों को वहाँ से हटने के लिए प्रेरित या बाध्य किया गया।
- इसके उदाहरण भी मिलते हैं कि अमरीकियों ने धोखे से उनसे ज़्यादा ज़मीन लेकर पैसे देने में वायदाखिलाफ़ी की।
- जॉर्जिया (सं.रा.अ. का एक राज्य) के अधिकारियों की दलील थी कि चिरोकी कबीला राज्य के कानून से शासित होता है, लेकिन वे नागरिक अधिकारों को उपयोग नहीं कर सकते।
➡ ज़मीन लेने वाले लोगों ने अपने को इस बात पर उचित ठहराया कि मूल निवासी ज़मीन का अधिकतम इस्तेमाल करना नहीं जानते।
- वे बाज़ार हेतु उत्पादन करने में अपने शिल्प-कौशल का इस्तेमाल नहीं करते।
- अंग्रेज़ी सीखने और ढंग के कपड़े पहनने में उनकी दिलचस्पी नहीं है।
➡ ज़मीन के अंदर सीसा, सोना या तेल जैसे खनिज के पता चलने पर मूल निवासी के कई समूहों को एक ज़मीन साझा करने के लिए बाध्य करने से उनके बीच झगड़ा हो जाता था।
- उनको छोटे इलाकों में कैद कर दिया गया था जिन्हें रिज़र्वेशन्स (आरक्षण) कहा जाता था।
- इन ज़मीनों से उनका पहले से कोई रिश्ता नहीं था।
- उन्होंने अपनी ज़मीनों के लिए लड़ाई भी लड़ी थी।
- संयुक्त राज्य की फ़ौज ने 1865 से 1890 के बीच विद्रोहों की एक पूरी श्रृंखला का दमन किया था।
- कनाडा में 1869 से 1885 के बीच मेटिसों के सशक्त विद्रोह हुए थे। लेकिन इन लड़ाइयों के बाद उन्होंने हार मान ली।
गोल्ड रश और उद्योगों की वृद्धि
1840 में सं.रा.अ. के कैलिफ़ोर्निया में सोने के कुछ चिन्ह ने “गोल्ड रश” को जन्म दिया।
- जिसमें हज़ारों की संख्या में आतुर यूरोपीय लोग अपनी तकदीर सँवार लेने की उम्मीद में अमरीका पहुँचे।
- इसके चलते पूरे महाद्वीप में रेलवे लाइनों का निर्माण हुआ जिसके लिए हज़ारों चीनी श्रमिकों की नियुक्ति हुई।
- 1870 में संयुक्त राज्य अमरीका रेलवे और 1885 में कनाडा की रेलवे का काम पूरा हुआ।
- स्कॉटलैंड से आया एक ग़रीब आप्रवासी एंड्रिउ कार्नेगी, संयुक्त राज्य अमरीका के पहले करोड़पति उद्योग स्वामियों में से एक था।
➡ इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति होने का एक कारण यह था कि छोटे खेतिहर बड़े किसानों के हाथों अपनी ज़मीन खोने के बाद कारखानों में नौकरी के लिए जाने लगे।
- उत्तरी अमरीका में रेलवे के साज़-सामान और खेती को आसान बनाने वाले यंत्रों के उत्पादन के लिए उद्योग विकसित हुए।
- सं.रा.अ. और कनाडा, दोनों जगहों पर औद्योगिक नगरों का विकास हुआ और कारखानों की संख्या तेज़ी से बढ़ी।
- 1860 में सं.रा.अ. का अविकसित अर्थतंत्र 1890 में दुनिया का औद्योगिक शक्ति बन चुका था।
➡ बड़े-बड़े इलाकों को साफ करके बड़े पैमाने पर खेती का विस्तार हुआ। 1890 तक जंगली भैंसों का लगभग पूरी तरह उन्मूलन कर 1892 में संयुक्त राज्य अमरीका का महाद्वीपीय विस्तार पूरा हो चुका था।
- प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर के बीच का क्षेत्र राज्यों में विभाजित हो चुके थे।
- कुछ ही वर्षों के अंदर संयुक्त राज्य अमरीका साम्राज्यवादी शक्ति बनके हवाई और फिलिपीन्स में अपने उपनिवेश बसा रहा था।
संवैधानिक अधिकार
- संयुक्त राज्य अमरीका ने 1770 के दशक में राजशाही और अभिजात तंत्र के खिलाफ़ आज़ादी के अपने संघर्ष में “लोकतांत्रिक भावना” के साथ एकजुटता बनाई थी।
- उनके संविधान में व्यक्ति के “संपत्ति के अधिकार” को शामिल किया गया, जिसे रद्द करने की छूट राज्य को नहीं थी। लेकिन लोकतांत्रिक अधिकार और संपत्ति का अधिकार, दोनों सिर्फ़ गोरे लोगों के लिए थे।
बदलाव की लहर…
1920 के दशक तक संयुक्त राज्य अमरीका और कनाडा के मूल निवासियों के लिए कुछ भी बेहतर होना शुरू नहीं हुआ था।
- 1928 में समाजवैज्ञानिक लेवाइस मेरिअम के “दि प्रॉब्लम ऑफ़ इंडियन एडमिनिस्ट्रेशन” में रिज़र्वेशन्स में रह रहे मूल निवासियों की स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाओं की दरिद्रता का बड़ा ही दारुण चित्र प्रस्तुत किया गया था।
➡ 1934 का इंडियन रीऑर्गनाईज़ेशन एक्ट के द्वारा रिज़र्वेशन्स में मूल निवासियों को ज़मीन खरीदने और ऋण लेने का अधिकार हासिल हुआ। जिन्हें पहले अपनी संस्कृति को पूरा निभाने और नागरिकता के लाभों से वंचित रखा जाता था।
➡ 1950 और 60 के दशकों में संयुक्त राज्य अमरीका और कनाडा की सरकारों ने मूल बाशिंदों के लिए किए गए विशेष प्रावधानों को इसलिए खत्म करना चाहा ताकि वे मुख्यधारा (यूरोपीय संस्कृति) में शामिल हो जाएँ। लेकिन मूल बाशिंदे ऐसा नहीं चाहते थे।
- 1954 में अनेक मूल निवासियों द्वारा तैयार किए गए ”डिक्लेरेशन ऑफ़ इंडियन राइट्स” में इस शर्त के साथ सं.रा.अ. की नागरिकता स्वीकार की कि उनके रिज़र्वेशन्स वापस नहीं लिए जाएँगे और उनकी परंपराओं में दखलंदाज़ी नहीं की जाएगी।
- 1969 में सरकार द्वारा आदिवासी अधिकारों को मान्यता न देने पर मूल निवासियों ने धरना प्रदर्शनों और वाद विवादों से विरोध किया।
- 1982 में संवैधानिक धारा के तहत मूल निवासियों के मौजूदा आदिवासी अधिकारों और समझौता आधारित अधिकारों को स्वीकृति मिली।
ऑस्ट्रेलिया
आदिमानव जिन्हें “ऐबॉरिजिनीज़” कहते हैं ऑस्ट्रेलिया के साथ एक भू-सेतु से जुड़े न्यू गिनी से 40,000 साल पहले ऑस्ट्रेलिया में आने शुरू हुए थे।
- मूल निवासियों की परंपराओं के अनुसार वे हमेशा से यहीं थे। बीती सदियाँ “स्वप्नकाल” कही जाती थीं।
- 18वीं सदी के आखिरी दौर में ऑस्ट्रेलिया में मूल निवासियों के 350 से 750 तक समुदाय थे।
- हर समुदाय की अपनी भाषा (200 भाषाएँ आज भी बोली जाती है)।
- देसी लोगों का एक और विशाल समूह उत्तर में रहता है इसे टॉरस स्ट्रेट टापूवासी कहते हैं।
ऑस्ट्रेलिया की आबादी बहुत छितरायी हुई है, और आज भी वहाँ के ज़्यादातर शहर समुद्रतट के साथ-साथ बसे हैं, क्योंकि बीच का इलाका शुष्क मरुभूमि है।
यूरोपीयों का ऑस्ट्रेलिया पहुँचना
- 1606 — डच यात्रियों ने ऑस्ट्रेलिया को देखा
- 1642 — तास्मान इस टापू पर पहुँचा। बाद में टापू का नाम तस्मानिया रखा गया
- 1770 — जेम्स कुक बॉटनी खाड़ी पहुँचता है, जिसका नामकरण हुआ, न्यू साउथ वेल्स
- 1788 — ब्रिटेन के दंडितों की बस्ती बनाई गई। सिडनी की स्थापना हुई
➡ यूरोपीय लोगों के आगमन को सभी मूल बाशिंदों ने खतरे की तरह नहीं देखा।
- हालाँकि 19वीं और 20वीं सदी के बीच कीटाणुओं के असर से, अपनी ज़मीनें खोने के चलते और आबादकारों के साथ हुई लड़ाईयों में लगभग 90 फ़ीसदी मूल बाशिंदों को अपनी जान देनी पड़ी।
- ब्राज़ील में उनके हिंसक बरताव से मूल निवासियों के प्रतिहिंसा करने पर पुर्तगाली कैदियों को बसाने का प्रयोग बंद किया गया।
- ब्रिटिशों ने स्वतंत्र होने तक अमरीकी उपनिवेशों में यही तरीका अपनाया, और फिर उसे ऑस्ट्रेलिया में भी जारी रखा।
ऑस्ट्रेलिया के ज़्यादातर शुरुआती आबादकार इंग्लैंड से निर्वासित होकर आए थे और उनके कारावास पूरा होने पर ब्रिटेन वापस न लौटने की शर्त पर उन्हें ऑस्ट्रेलिया में स्वतंत्र जीवन जीने की इजाज़त मिल गई। वे मूल निवासियों को बाहर निकाल कर खेती करने लगे।
ऑस्ट्रेलिया का विकास
- 1850 — ऑस्ट्रेलियाई बस्तियों को स्वशासन का अधिकार
- 1851 — चीनी कुलियों का आप्रवास। 1855 में कानून बना कर इसे रोका गया
- 1851-1961 — गोल्ड रश
- 1901 — छह राज्यों को लेकर ऑस्ट्रेलियाई संघ का निर्माण
- 1911 — कैनबरा राजधानी बनाई गई
- 1948-75 — 20 लाख यूरोपीय लोग ऑस्ट्रेलिया में आकर बस गए
1974 — “गोरे ऑस्ट्रेलिया” की नीति का खात्मा, एशियाई आप्रवासियों को प्रवेश की इजाज़त
1992 — ऑस्ट्रेलियाई हाई कोर्ट द्वारा (माबो केस में) टेरा न्यूलिअस कानूनी अवैधता की घोषणा और 1770 के पहले से ज़मीन पर मूल निवासियों के दावों को मान्यता
1995 — आदिवासी और टॉरस स्ट्रेट टापूवासी बच्चों को उनके परिवारों से अलग किए जाने के मामले में राष्ट्रीय जाँच
1999 — 1820 से 1970 के दशक के बीच गुम हुए बच्चों से माफ़ीनामे के तौर पर “राष्ट्रीय क्षमायाचना दिवस (26 मई)”
➡ ऑस्ट्रेलिया में भेड़ों के विशाल फ़ार्म तथा खानें, मदिरा बनाने हेतु अंगूर के बाग़ तथा गेहूँ की खेती एक लंबी अवधि में और काफ़ी परिश्रम से विकसित हो पाईं।
- राज्यों को मिलाकर 1911 में ऑस्ट्रेलिया की राजधानी के लिए “वूलव्हीटगोल्ड” नाम सुझाव हुआ।
- अंतत: उसका नाम कैनबरा रखा गया जो स्थानीय शब्द कैमबरा (सभा-स्थल) से बना है।
- कुछ मूल निवासी दासों की तरह खेतों में काम करते थे।
- बाद में चीनी आप्रवासियों ने सस्ता श्रम मुहैया कराया, जैसे कि कैलिफ़ोर्निया में हुआ था।
- लेकिन ग़ैर-गोरों पर बढ़ती हुई निर्भरता से दोनों देशों की सरकारों ने चीनी आप्रवासियों को प्रतिबंधित कर दिया।
बदलाव की लहर…
1968 में मानवशास्त्री डब्लयू.ई.एच.स्टैनर का “दि ग्रेट ऑस्ट्रेलियन साइलेंस” इतिहासकारों की मूल निवासियों के बारे में चुप्पी को दर्शाता है।
- 1970 के दशक से उत्तरी अमरीका की तरह यहाँ भी मूल निवासियों को समझने की चाहत जाग चुकी थी।
- उन्हें मानवशास्त्रीय संस्कृतियों वाले समुदायों के रूप में, प्रकृति और जलवायु को समझने की विशिष्ट पद्धतियों के रूप में समझा था।
- उनके पास अपनी कथाओं और कपड़ासाज़ी-चित्रकारी-हस्तशिल्प के कौशल का विशाल भंडार था, जो सराहने, आदर तथा अभिलेखन के योग्य था।
➡ हेनरी रेनॉल्डस की पुस्तक “व्हाइ वरंट वी टोल्ड?” में ऑस्ट्रेलियाई इतिहास लेखन के उसे ढर्रे की भर्त्सना की गई थी, जिसमें कैप्टन कुक की खोज से ही इतिहास की शुरुआत मानी जाती थी।
- बाद में मूल निवासियों की संस्कृतियों का अध्ययन करने के लिए विश्वविद्यालयी विभागों की स्थापना हुई।
- आर्ट गैलरीज़ में देसी कलाओं की दीर्घाएँ शामिल की गई, देसी संस्कृति को समझाने वाले कल्पनाशील तरीके से सज्जित कमरों के लिए संग्रहालयों में जगह बनाई गई, और मूल निवासियों ने अपने जीवन इतिहासों को लिखना शुरू किया।
➡ 1974 में “बहुसंस्कृतिवाद” ऑस्ट्रेलिया की राजकीय नीति रही है, जिसने मूल निवासियों को संस्कृतियों और यूरोप तथा एशिया के आप्रवासियों की भांति-भांति की संस्कृतियों को समान आदर दिया है।
➡ सरकार ऑस्ट्रेलिया की ज़मीन को टेरा न्यूलिअस (जो किसी की नहीं है) कहती थी और आदिवासी रिश्तेदारों से छीने गए मिश्रित रक्तवाले (मूल निवासी-यूरोपीय) बच्चों के लिए हुए आंदोलन के कारण दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
- मूल निवासियों का ज़मीन के साथ पवित्र और मज़बूत ऐतिहासिक संबंध रहा है इसका आदर किया जाना चाहिए।
- पिछली गलतियों को धोया नहीं जा सकता लेकिन गोरों और रंगबिरंगे लोगों को अलग-अलग रखने की कोशिश करके बच्चों के साथ किए गए अन्याय के लिए सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगी जानी चाहिए।
Class 11 History Chapter 6 Notes In Hindi PDF Download
विषय सूची
अनुभाग एक — प्रारंभिक समाज
विषय 1: लेखन कला और शहरी जीवन
अनुभाग दो — साम्राज्य
विषय 2: तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य
विषय 3: यायावर साम्राज्य
अनुभाग तीन — बदलती परंपराएँ
विषय 4: तीन वर्ग
विषय 5: बदलती हुई सांस्कृतिक परंपराएँ
अनुभाग चार — आधुनिकीकरण की ओर
विषय 7: आधुनिकीकरण के रास्ते
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