अध्याय 7: राज्य से साम्राज्य
मौर्य साम्राज्य
लगभग 2300 साल पहले अशोक के दादा चन्द्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। उनकी मदद चाणक्य या कौटिल्य ने की थी। इनके कई विचार हमें अर्थशास्त्र नाम की किताब में मिलते हैं।
वंश
जब एक ही परिवार के कई सदस्य एक के बाद एक राजा बनते हैं तो उन्हें एक ही वंश का कहा जाता है। मौर्य वंश में तीन महत्वपूर्ण राजा हुए – चन्द्रगुप्त, उसका बेटा बिन्दुसार और बिन्दुसार का पुत्र अशोक।
साम्राज्य में पाटलिपुत्र (साम्राज्य की राजधानी), उज्जैन और तक्षशिला जैसे प्रमुख नगर थे।
- तक्षशिला उत्तर-पश्चिम और मध्य एशिया के लिए आने-जाने का मार्ग था। और उत्तरी भारत से दक्षिणी भारत जाने वाले रास्ते में उज्जैन पड़ता था।
- नगरों में व्यापारी, सरकारी अधिकारी और शिल्पकार रहा करते थे तथा गाँव में किसान और पशुपालक बसे हुए थे।
- मध्य भारत के जंगलों में रहने वाले लोग फल-फूल का संग्रहण और जानवरों का शिकार करके जीविका चलाते थे।
- साम्राज्य के अलग-अलग इलाकों के लोग भिन्न-भिन्न भाषाएँ बोलते, भिन्न-भिन्न प्रकार का भोजन करते और भिन्न-भिन्न किस्म की पोशाकें पहनते थे।
राज्य साम्राज्य से कैसे भिन्न है?
साम्राज्य, राज्यों से बड़े होते हैं और उनकी रक्षा के लिए बड़ी सेनाओं की ज़रूरत होती है, इसलिए संसाधनों की ज़्यादा ज़रूरत पड़ती है। और बड़ी संख्या में अधिकारियों द्वारा कर इकट्ठा किए जाते है।
साम्राज्य का प्रशासन
मौर्य साम्राज्य के बड़ा होने के कारण इसके अलग-अलग हिस्सों पर अलग-अलग ढंग से शासन किया जाता था।
- सम्राट का सीधा नियंत्रण पाटलिपुत्र और उसके आस-पास के इलाकों पर था।
- राजा के अधिकारी इस इलाके के गाँवों और शहरों के किसानों, पशुपालकों, शिल्पकारों और व्यापारियों से कर इकट्ठा करते थे।
- संदेशवाहक एक जगह से दूसरी जगह घूमते रहते थे और राजा के जासूस अधिकारियों के कार्य-कलाप पर नजऱ रखते थे।
- राजा का काम राज-परिवार एवं वरिष्ठ मंत्रियों की सहायता से सब पर नियंत्रण रखना था।
- मौर्य साम्राज्य के छोटे क्षेत्रों या प्रांतों पर तक्षशिला या उज्जैन जैसी प्रांतीय राजधानियों से शासन किया जाता था। कुछ हद तक पाटलिपुत्र से इन क्षेत्रों पर नियंत्रण रखा जाता था और राजकुमारों को वहाँ का राज्यपाल (गवर्नर) बना कर भेजा जाता था।
- प्रादेशिक केंद्रों में मौर्य शासक सिर्फ़ मार्गों और नदियों पर नियंत्रण रखने की कोशिश करते थे जो आवागमन के लिए महत्वपूर्ण थे। यहाँ से कर और भेंट इकट्ठा किया जाता था।
- जंगल में रहने वाले लोगों से उम्मीद की जाती थी कि वे मौर्य पदधिकारियों को हाथी, लकड़ी, मधु और मोम जैसी चीज़ें लाकर दें।
अर्थशास्त्र में लिखा है कि उत्तर-पश्चिम कंबल के लिए और दक्षिण भारत सोने और कीमती पत्थरों के लिए प्रसिद्ध था।
नज़राना: कर नियमित ढंग से इकट्ठे किए जाते थे परंतु नज़राना अनियमित रूप से जब भी संभव हो, इकट्ठा किया जाता था। नज़राने विविध पदार्थों के रूप में ऐसे लोगों से लिए जाते थे जो अपनी इच्छा से इसे देते थे।
अशोक – एक अनोखा सम्राट
मौर्य वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक अशोक थे उन्होंने अभिलेखों द्वारा जनता तक अपने संदेश पहुँचाए। अशोक के अभिलेख प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में हैं।
अशोक का कलिंग युद्ध
अशोक ने कलिंग (उड़ीसा का प्राचीन नाम) को जीतने के लिए एक युद्ध लड़ा था, लेकिन युद्धजनित हिंसा और खून-खराबा देखकर उन्हें युद्ध से वितृष्णा हो गई। इस कारण उन्होंने निर्णय लिया कि वे भविष्य में कभी युद्ध नहीं करेंगे।
अशोक का धम्म
अशोक के धम्म में किसी देवता की पूजा और किसी कर्मकांड की ज़रूरत नहीं थी। वह पिता की तरह अपनी प्रजा को शिक्षा देने की बात करते थे। वे बुद्ध के उपदेशों से भी प्रेरित थे।
- साम्राज्य में रहने वाले अलग-अलग धर्मों के लोगों के बीच टकराव होते थे।
- जानवरों की बलि चढ़ाई जाती थी।
- दासों और नौकरों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता था।
- परिवार और पड़ोसियों में भी झगड़े होते रहते थे।
अशोक ने इन सब समस्याओं से निदान पाने के लिए धम्म-महामात्त की नियुक्ति की जो जगह-जगह जाकर धम्म की शिक्षा देते थे।
- अशोक ने अपने संदेश कई स्थानों पर शिलाओं और स्तंभों पर खुदवा दिए। अधिकारियों का काम संदेश को अनपढ़ लोगों को पढ़कर सुनाना था।
- अशोक ने सीरिया, मिस्र तथा ग्रीस तक धम्म के विचारों को प्रसार करने के लिए अपने दूत भेजे।
- अपने पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा को इसी कार्य हेतु उसने श्रीलंका भेजा।
उन्होंने सड़के बनवाई, कुएँ खुदवाए और विश्राम-गृह बनवाए। इसके अलावा मनुष्यों व जानवरों की चिकित्सा की भी व्यवस्था की।
कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ
- मौर्य साम्राज्य की शुरुआत (2300 वर्ष पूर्व)
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